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PDF Title : | 1000 Mahabharat Prashnottari |
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Total Page : | 1227 Pages |
Author: | Rajendra Pratap Simha |
PDF Size : | 2.1 MB |
Language : | Hindi |
Source : | indianpdf |
PDF Link : | Available |
Summary
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1000 Mahabharat Prashnottari – Hindi
भारतीय संस्कृति ज्ञान का भंडार है। माध्यम इसका संस्कृत भाषा है। प्रमुख विशेषता इसकी सहिष्णुता है। अपनी इसी विशेषता के कारण हमारी संस्कृति विदेशी आक्रांताओं से काफी प्रभावित हुई है।
आज हम किसी भी क्षेत्र में दृष्टिक्षेप करें तो बहुलांश में भारतीय संस्कृति ही दृष्टिगोचर होती है–चाहे वह राज-व्यवस्था का क्षेत्र हो, समाज-व्यवस्था का क्षेत्र हो, साहित्य का क्षेत्र हो अथवा विज्ञान का। राज-व्यवस्था के क्षेत्र में भारत (तत्कालीन आर्यावर्त) ही एकमात्र वह देश है, जहाँ मनुस्मृति से प्रारंभ होकर याज्ञवल्क्यस्मृति, नारदस्मृति, पाराशरस्पृति और कौटिल्यीय अर्थशास्त्र तक जो भी राजा, राजपरिषद्, राजकीय कर-विधान, दंड-व्यवस्था आदि के मानदंड दिए गए, वे आज भी संसार के लगभग सभी देशों के संविधान में किसी-न-किसी रूप में पाए जाते हैं।
हाँ, यह अवश्य हुआ है कि उसमें यदि कुछ जोड़ा गया है, तो कुछ घटाया भी गया है। विज्ञान के क्षेत्र में भी देखें। आज से युगों पहले भगवान् श्रीराम लंका-विजय के पश्चात् पुष्पक विमान दूवारा अयोध्या प्रस्थान करते हैं, और रावण के विरुदूध युद्ध में जिन प्रक्षेपास्त्रों का प्रयोग करते हैं, वे सभी आज के आयुधागारों में नाम और रूप बदलकर आधुनिक विज्ञान की देन बताए जा रहे हैं। महाभारत में धृतराष्ट्र को उनके मंत्री संजय हस्तिनापुर में ही बैठे हुए दिव्य दृष्टि से कुरुक्षेत्र युद्ध का वर्णन करते हैं।