101 SadaBahar Kahaniyan – Hindi [PDF]

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101 SADABAHAR KAHANIYAN (Hindi Edition) - Trivedi, Deep Book in PDF - Download Free in Hindi - indianpdf

PDF Title : 101 SadaBahar Kahaniyan
Total Page : 135 Pages
Author: Deep Trivedi
PDF Size : 1,340 KB
Language : Hindi
Source : deeptrivedi.com
PDF Link : Available
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Summary
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101 SadaBahar Kahaniyan – Hindi

यह किस्सा भारत के प्राचीन व पुराने ग्रंथ महाभारत का है। … यह उन दिनों की बात है जब पांडवों के नाम से प्रसिद्ध पांच भाई वनवास भोग रहे थे।

निश्चित ही वे लोग जब राजमहल छोड़ वनों में भटक रहे थे, तब जिंदगी बड़ी कष्टटायक थी। उसी दरम्यान एक दिन ऐसा हुआ कि एक संन्यासी उनके यहां भिक्षा मांगने आया। उस समय उनके सबसे बड़े भ्राता युधिष्ठिर द्वार पर ही खड़े हुए थे।

अब भारतीय परंपरा के अनुसार कोई भिक्षा मांगने आए तो उसे खाली हाथ लौटाना नहीं चाहिए। ऊपर से यह तो युधिष्ठिर थे, जिन्हें धर्मराज भी कहा जाता था। लेकिन दुर्भाग्य से हालात ऐसे थे कि उस समय संन्‍्यासी को देने के लिए घर में कुछ न था।

और जब नहीं था, नहीं ही था। अब उसमें परंपरा भी क्या करेगी और धर्मराज होना भी क्या करेगा? 8५ युधिष्ठिर इस बात से काफी दुखी हो गए। संन्यासी को खाली हाथ लौटाना उन्हें चुभ रहा था।

सो कोई उपाय न देख उन्होंने दोनों हाथ जोड़ते हुए संन्यासी से कहा- मैं क्षमा मांगता हूँ कि इस समय हमारे पास आपको देने हेतु कुछ भी नहीं है, परंतु आप कल अवश्य पधारना। वादा करता हूँ कि कल मैं आपको भोजन करवाकर ही विदा करूंगा। युधिष्ठिर के इतना कहते ही संन्यासी चले गए।

यहां तक तो ठीक, परंतु उधर बाकी भाइयों और द्रौपदी के साथ बातचीत में मशगूल भीम के कानों में यह बात पड़ गई। बात सुनते ही जाने क्या हुआ कि वह भीतर से एक नगाड़ा लेकर बाहर आ गया।

और बाहर आते ही जोर-जोर से नगाड़ा बजाने लगा। स्वाभाविकरूप से नगाड़े की आवाज सुन बाकी लोग भी बाहर आ गए। इधर सबको बाहर आया देखकर भीम और मस्ती में दुगुने जोश से नगाड़ा बजाने लगा। संयोगवश उसी समय उनके अजीज मित्र कृष्ण पांडवों की खोज-खबर लेने वहां आ पंहुचे।

सबने उनकी आगे बढ़कर अग॒वानी की, लेकिन भीम अपने नगाड़ा बजाने में ही मस्त था। कृष्ण को माजरा समझ में नहीं आया। ने पर युधिष्ठिर व ने कहा कि लगता है पेटू भीम मारे भूख के पागल हो गया है, लेकिन कृष्ण के मन में भीम की आंतरिक अमल देव हमेशा से सम्मान था।

सो उन्होंने कोई राय बनाने की बजाए माजरे की हकीकत समझने हेतु सीधे भीम से पूछना ही उचित समझा।

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