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PDF Title : | Albert Einstein |
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Total Page : | 69 Pages |
Author: | VINOD KUMAR MISHRA |
PDF Size : | 1,311 KB |
Language : | Hindi |
Source : | indianpdf |
PDF Link : | Available |
Summary
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Albert Einstein- Hindi
विशेष बात यह थी कि आइंस्टाइन ने कभी कार खुद नहीं चलाई थी, पर नाव वे बड़ी कुशलता से चलाया करते थे। उन्हें अपने नाव खेने पर इतना भरोसा था कि वे अपनी नाव में कभी लाइफ जैकेट या बेल्ट आदि लेकर नहीं चलते थे। आईइंस्टाइन को मशीनों से चिढ़ थी।
वे किसी प्रकार की मोटर या मशीनी आवाज से दूर ही रहना चाहते थे। पचास साल की आयु पूरी कर लेने के बाद उन्होंने कैमरे को हाथ लगाया, वह भी डरते-डरते। बड़ी मुश्किल से उन्होंने टाइपराइटर चलाना सीखा था। आइंस्टाइन तीत्र गति से भी डरते थे। वे कभी किसी रिकॉर्ड को बनाने या रिकॉर्ड तोड़ने के फिराक में नहीं रहे।
प्रतियोगिताओं से उन्हें अरुचि थी और अपने समकालीन वैज्ञानिकों से उनका व्यवहार मित्रवत् रहता था। उनकी पसंदें बच्चों जैसी थीं। जब नाव चल पड़ती या रुक जाती तो वे प्रसन्न हो उठते थे।
उनके मन में कभी-कभी स्कीइंग या ग्लाइडिंग की भी इच्छा उठती थी। पर उन्हें इसकी पूरी सुविधा या अवसर नहीं मिला। एक कारण यह भी था कि वे सुस्त प्रकृति के थे और फुरती उनसे कोसों दूर रहती थी। वे तो मस्त होकर नाव खेते थे और नाव खेते-खेते दूर चले जाते थे।
उन्होंने अपनी नाव पर कभी कंपास नहीं रखा; पर उन्हें मौसम या भावी तूफान आदि का अहसास हो जाता था। शायद इसका एक कारण यह था कि हवा, मौसम आदि शरीर पर दबाव डालते हैं और उनकी क्रियाएँ-प्रतिक्रियाएँ होती हैं, जो उनके भौतिकी विषय का ही अंग थीं।
लोग उनके इन गुणों से प्रभावित भी थे। बर्जेस नामक एक डिजाइनर ने याट की डिजाइन बनाने के लिए उनसे लंबी चर्चा की और याट के अनेक नक्शों में से बेहतरीन नक्शा चुनने हेतु उनसे सलाह माँगी। आइंस्टाइन ने उनकी बात सुनने के पश्चात् कागज-पेंसिल लेकर याट की संरचना से संबंधित सूत्र व समीकरण कागज पर लिखे और कुछ मिनटों तक विचार करने के पश्चात् बर्जेस को याट की डिजाइन संबंधी सुझाव दे दिए।