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PDF Title : | Chaurasi 84 |
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Total Page : | 105 Pages |
Author: | Satya Vyas |
PDF Size : | 734.1 KB |
Language : | Hindi |
Source : | indianpdf |
PDF Link : | Available |
Summary
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Chaurasi 84 ( by Satya Vyas ) – Hindi
कहते हैं सेंधमारों को दीवार में नम हिस्सा दिख ही जाता है। सात लीवर का ताला शरीफ़ों के लिए था। उस्तादों के लिए सात सेकंड का भी नहीं था। हुजूम में शामिल किसी उस्ताद ने महज़ पेचकश की मदद से ताला खोल दिया। भीड़ नारों और नफ़रतों के बीच दुकान में दाख़िल हुई।
इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान में छिपने की कोई जगह नहीं थी और सतनाम सैनी ने उसकी कोशिश भी नहीं की। दरवाज़ा टूटते ही भीड़ दो भागों में टूट गई। कुछ लोग सतनाम पर टूटे तो कुछ लोग सामान पर टूट पड़े। सतनाम सैनी दोहरे शरीर के मालिक थे।
कसरती शरीर और भारी वजन के सतनाम सैनी को संभाल पाना आठ-दस लोगों के बस की भी बात नहीं थी। उन्होंने कृपाण निकालकर जब हुंकार भरी तो लोग छिटक गए। लोग पहले भयभीत हुए; मगर उनकी संख्या ज़्यादा थी और फिर आततातियों के पास बल का विकल्प छल था।
वह कृपाण लहराते हुए बाहर निकलने ही वाले थे कि ताला तोड़ने वाले ने उनकी गर्दन पर पेचकश से ही पीछे से वार कर दिया। नोंक श्वास नली में ही लगी थी। सतनाम सैनी कुछ ही पलों में ख़ून की कमी से निढाल हो गए। भद्दी गालियाँ और पैशाचिक नारों के बीच उन्हें खींचकर दुकान से बाहर लाया गया और आग लगा दी गई।