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PDF Title : | Agni Puran – Hindi |
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Total Page : | 842 Pages |
PDF Size : | 57.2 MB |
Language : | Hindi |
PDF Creation Date : | 10/17/2011, 11:17:05 PM |
Source : | indianpdf.com |
PDF Link : | Available |
Summary
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Agni Puran – Hindi
विभिन्न विषयोंके विवेचन एवं लोकोपयोगिताकी दृष्टिसे अठारह पुराणोंमें अग्निपुराणका सर्वाधिक महत्त्व है।
इसमें अनेक विद्याओंका सुन्दर समावेश है। इस पुराणके सन्दर्भमें पुएरणकारका कथन है–‘आननेये हि पुराणेस्मिन सर्वा विद्या: प्रदर्शिता:: (अग्नि० ३८३।५१)।
अर्थात् ‘इस आग्नेय (अग्नि) पुराणमें सभी विद्याओंका वर्णन है। भगवान् अग्निदेवने महर्षि वसिष्ठको यह पुराण सुनाया है। अतः इसे अग्निपुराण कहते हैं।
पद्मपुराणमें पुराणोंको भगवान् विष्णुका ही विग्रह बतलाया गया है और उनके विभिन्न अड् ही विभिन्न पुराण कहे गये हैं। इस दृष्टिसे अग्निपुराणको श्रीहरिका बायाँ चरण कहा गया है–‘अद्धिप्रर्वामो ह्ाग्नेयमुच्यते’ (स्वर्गखण्ड ६२।४)।
अग्निपुराणमें ३८३ अध्याय हैं। इसमें परा-अपरा विद्याओंका वर्णन, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारोंकी कथाएँ, रामायणके सातों काण्डोंकी संक्षिप्त कथा, हरिवंश नामसे भगवान् श्रीकृष्णके वंशका वर्णन, महाभारतके सभी पर्वोकी संक्षिप्त कथा, सृष्टि-वर्णन, स्नान-संन्ध्या-पूजा-होम-विधि, दीक्षा-विधि, अभिषेक-विधि, दीक्षाके ४८ संस्कार, अधिवास-विधि, देवालय-निर्माण-फल, शिलान्यास-विधान, प्रासाद-लक्षण, प्रासाद-देवता-स्थापन विधि, विविध देव- प्रतिमाओंके लक्षण, प्राण-प्रतिष्ठा-विधि, देव-पूजा-विधि, तत्त्व-दीक्षा, देवोंके विभिन्न मन्त्र, वास्तु-पूजा और खगोल आदिका सुन्दर निरूपण किया गया है।
इसके अतिरिक्त इसमें तीर्थ-माहात्म्य, श्राद्धकल्प, ज्योतिष्-शास्त्र, त्रैलोक्य- विजय-विद्या, संग्राम-विजय-विद्या, महामारी-विद्या, वशीकरण आदि षट्कर्म, मन्त्र, औषधि, लक्ष्यकोटि-होम-विधि, सूर्य और चन्द्रवंशका विस्तार, पुरुष- स्त्रीके शुभाशुभ लक्षण, वेदशाखा-वर्णन, सिद्धौषधि एवं रसादिका वर्णन, विभिन्न पशुओंकी चिकित्सा, बालतनत्र, ग्रहमन्त्र, नरसिंहमन्त्र, त्रैलोक्य-मोहन- मन्त्र, लक्ष्मी एवं त्वरिता-पूजा और सिद्धि आदिका प्रतिपादन किया गया है।
सारांश यह है कि इस पुराणमें लौकिक ज्ञान और ब्रह्मज्ञानके सभी विषयोंको बोधगम्य शैलीमें विस्तृत रूपमें समझाया गया है। यह पुराण अध्येताओं एवं गवेषकोंके लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सामग्री सँजोये हुए है।