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PDF Title : | Kamayani by Jaishankar Prasad |
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Total Page : | 162 Pages |
Poem By: | Jaishankar Prasad |
PDF Size : | 6.69 MB |
Language : | Hindi |
Creation : | 9/19/2015, 2:43:49 AM |
Source : | indianpdf.com |
PDF Link : | Available |
Summary
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Kamayani by Jaishankar Prasad – कामायनी Hindi
आर्य साहित्य में मानवों के आदि पुरुष मनु का इतिहास वेदों से लेकर पुराण और इति- हासों में बिखरा हुआ मिलता है।
श्रद्धा और मनु के सहयोग से मानवता के विकास की कथा को रूपक के आवरण में, चाहे पिछले काल में मान लेने का वैसा ही प्रयत्न हुआ हो जैसा कि सभी वैदिक इतिहासों के साथ निरुक्त के द्वारा किया गया, किंतु मन्वंतर के अर्थात् मानवता के नवयुग के प्रवर्तक के रूप में मनु की कथा आर्यों की अनुश्रुति में इ- ढता से मानी गयी है।
इसलिए वैवस्वत मनु को ऐतिहासिक पुरुष ही मानना उचित है। यदि श्रद्धा और मनु अर्थात मनन के सहयोग से मानवता का विकास रूपक है, तो भी बडा ही भावमय और श्लाध्य है।
यह मनुष्यता का मनोवैज्ञानिक इतिहास बनने में समर्थ हो सकता है। आज हम सत्य का अर्थ घटना कर लेते हैं। तब भी, उसके तिथि क्रम मात्र से संतुष्ट न होकर, मनोवैज्ञानिक अन्वेषण के द्वारा इतिहास की घटना के भीतर कुछ दे- खना चाहते हैं।
जल-प्लावन भारतीय इतिहास में एक ऐसी ही प्राचीन घटना है, जिसे मनु को देवों से विलक्षण, मानवों की एक भिन्न संस्कृति प्रतिष्ठित करने का अवसर दिया। वह इतिहास ही है।
‘मनवे वै प्रात:’ इत्यादि से इस घटना का उल्लेख शतपथ ब्राह्मण के आठवें अध्याय में मिलता है। देवगण के उच्छुंखल स्वभाव, निबार्ध आत्मतुष्टि में अंतिम अध्याय लगा और मानवीय भाव अर्थात् श्रद्धा और मनन का समन्वय होकर प्राणी को एक नये युग की सूचना मिली। इस मन्वंतर के प्रवर्त्तक मनु हुए। मनु भारतीय इतिहास के आदि पुरुष हैं।
राम, कृष्ण और बुद्ध इन्हीं के वंशज है। शतपथ ब्राह्मण में उन्हें श्रद्धा- देव कहा गया है। भागवत में इन्हीं वैवस्वत मनु और श्रद्धा से मानवीय सृष्टि का आरम्भ माना गया है।