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PDF Title : | रावण आर्यवर्त का शत्रु |
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Hindi Title : | Raavan Aryavart Ka Shatru |
Total Page : | 285 Pages |
Author: | Amish Tripathi |
PDF Size : | 4.7 MB |
Language : | Hindi |
Source : | johnmaxwell.com |
PDF Link : | Available |
Summary
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Raavan Aryavart Ka Shatru (रावण आर्यवर्त का शत्रु) – Hindi
यह सब होने के बाद उनके मुँह में पवित्र जल डाला गया और उनके होंठों पर तुलसी की पत्ियाँ रखी गयीं। कुछ और तुलसी की पतियों को गूँधकर उनके नथुनों और कानों में लगाया गया। वेदवती के अँगूठों को आपस में बाँधकर उनके हाथों को उनकी छाती पर रखा गया।|
उनके परे के अँगूठों को भी आपस में बाँध दिया गया था। ऐसा ही पृथ्वी के साथ किया गया। ऐसी मान्यता थी कि इससे दाएँ और बाएँ ऊर्जा मार्ग आपस में जुड़ जाते हैं, जिससे शरीर के भीतर ऊर्जा एक घेर में घूमती है।
उन स्थानों पर मिट्टी के दीये जलाये गये जहाँ वेदवती और पृथ्वी मृत पाये गये थे, और दीयों की लो को मृत्यु और धर्म के देवता यम्र के सम्मान में दक्षिण की ओर रखा गया था| इस सबके दौगन, यवण और कुम्भकर्ण बाहर से शान्त बने रहे।
यहाँ बेढंगेपन से येले और अशोभ्नीय विलाप की कोई गुँजाइश नहीं थी। गरिमा। आदर। सम्मान। देवी इस सबकी अधिकारी थीं। महान कन्याकुमारी उसी ढंग से दुनिया से सिधारेंगी जिस ढंग से वो जी थीं| गरिमा, आदर और सम्मान के साथ|