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PDF Title : | Sharten Laagoo |
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Total Page : | 104 Pages |
Book By: | Divya Prakash Dubey |
PDF Size : | 1.15 MB |
Language : | Hindi |
Source : | hindyugm.com |
PDF Link : | Available |
Summary
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Sharten Laagoo – Hindi
घर में तैयारी जोर-शोर से चल रही थी। अगले हफ्ते निक््की की सगाई जो थी। पूरे खानदान में 20 साल बाद किसी लड़की की सगाई हो रही थी। निक्की अपने पापा के चारों भाइयों में इकलौती लड़की थी। रक्षा बंधन पर लड़ाई ही हो जाती थी सबमें। निक्की को कौन क्या दे रहा है।
घर में भाई ज्यादा हों तो पूरी दुनिया में घर के लड़कों के अलावा सारे लड़के आवारा ही होते हैं। इसीलिए निक्की को शुरू से ही कोई न कोई भाई छोड़ने जाता था। कोई भाई लेने जाता था। all-in-all बहुत ही protected माहौल में निक्की बड़ी हुई थी। ये तो बढ़िया हुआ कि 12th के बाद निक््की का admission दिल्ली यूनिवर्सिटी में हो गया।
हालांकि कोई भी भाई और चाचा इसके लिए तैयार नहीं था लेकिन इस बार निक्की तैयार थी। ज्यादा protection के अपने नुकसान हैं और कम protection के अपने। निक्की ने सोच लिया था बहुत हुआ और दादी से जिद्द करके निक्की दिल्ली निकल ली।
दिल्ली आकर निक्की की दोस्ती हुई शेफाली से, जोकि हॉस्टल में उसकी roommate थी। वैसे तो शेफाली दिल्ली की ही रहने वाली थी, लेकिन उसके मम्मी और पापा दोनों ही working थे और उनकी रोज की लड़ाई से बोर हो गयी थी, तो उसका अपने घर पे रहने का बिलकुल मन नहीं था।
कई लड़कियों के लिए आजादी का मतलब hostel में रहना होता है। ऐसा ही इन दोनों के साथ हुआ। हॉस्टल में दोनों आजाद फील करती थीं। शेफाली अकसर अपने घर से अपने पापा के cigarette के pack से एक दो cigarette उठा लाती थी और धुआँ अंदर लेकर style से बाहर निकालने की कोशिश करती थी, निक्की को ये सब बिलकुल पसंद नहीं था।