[PDF] ” Vayuputron Ki Shapath ” वायुपुत्रों की शपथ – Download

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Vayuputron Ki Shapath - वायुपुत्रों की शपथ - Amish - www.indianpdf.com_ Download eBook Online

PDF Title : वायुपुत्रों की शपथ
Total Page : 383 Pages
Author: Amish Tripathi
PDF Size : 10 MB
Language : Hindi
Publisher : Westland ltd.
PDF Link : Available

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Summary
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Vayuputron Ki Shapath – वायुपुत्रों की शपथ – Book

देवगिरि का निष्कर्ष निश्चित रूप से वैसा नहीं था जैसा वासुदेव चाहता था। लेकिन उसे जिस बात ने शांति दी थी वह यह अनुभूति थी कि बुराई को मिटा दिया गया है और सोमरस के ज्ञान को बचा लिया गया है। बुराई के कुप्रभावों के नष्ट हो जाने ने भारत में एक नई जान फूंक दी थी। नीलकंठ अपने उद्देश्य में सफल रहे थे, और इसी में वासुदेवों की सफलता थी। गोपाल ने वीरभद्र, और महादेव की नई जनजाति अर्थात ल्हासा के नागरिकों, के साथ भी औपचारिक संबंध स्थापित कर लिए थे। वासुदेव और ल्हासाई मिलकर भारत पर दृष्टि रखेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि यह देवभूमि निरंतर समृद्धि प्राप्त करती रहे और संतुलन के साथ विकसित होती रहे।

अपने मित्रा गोपाल को देखकर शिव को वायुपुत्रों का भी ध्यान हो आया। पशुपतिअस्त्रा का प्रयोग करने के लिए वे कभी शिव को क्षमा नहीं कर सके थे। मित्रा के लिए यह विशेष रूप से लज्जा की बात थी क्‍योंकि उन्होंने घोर विरोध के बावजूद शिव के नीलकठ होने की घोषणा का समर्थन किया था। एक दैवी अस्त्रा के अनधिकृत प्रयोग का दंड चौदह वर्ष का निर्वासन था। उन्हें दिए अपने वचन को तोड़ने और अपनी सास वीरिनी, अपने मित्रों पर्वतेश्वर और आनंदमयी की मृत्यु का कारण बनने के पश्चातापस्वरूप, शिव ने स्वयं को भारत से निष्कासन का दंड दिया था! न केवल चौदह वर्ष के लिए, बल्कि अपने शेष सारे जीवन के लिए।

Vayuputron Ki Shapath – वायुपुत्रों की शपथ PDF


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