Zindagi Aais Pais – Hindi [PDF]

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Zindagi Aais Pais Book in hindi PDF - Preview

PDF Title : Zindagi Aais Pais
Total Page : 108 Pages
Book By: Nikhil Sachan
PDF Size : 703 KB
Language : Hindi
Source : hindyugm.com
PDF Link : Available
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Summary
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Zindagi Aais Pais – Hindi

माँ ने काजू को छोड़ दिया और वो वापस रोटी फुलाने लगी। उसे रोटी काजू के पेट-सी लग रही थी। नरम। छुई-मुई।

काजू खाए बिना ही सो गया। माँ ने शायद जगाया भी न हो क्योंकि काजू सोते हुए बेहद सुंदर लगता था और वो रात की नींद से अचानक उठा दिए जाने पर रुआसा हो जाता था।

कांच की बोतल में टैडपोल भी सो गए और तालाब का पानी भी। पानी शायद इसलिए सो गया था क्योंकि सोते हुए टैडपोल अंग्रेज़ी के “कॉमा’ जैसे लगते थे। पानी उनकी शक्ल को सच मान बैठा होगा और ठहर गया होगा।

सोते हुए टैडपोल धीरे-धीरे मेंढक में मेटामोफ़ोज़ हो रहे थे और मेटामोफ़ोसिस की इस प्रक्रिया में उनकी पूँछ ग़ायब हो रही थी। ये तो के आ कि उनमें सोचने के लिए दिमाग़ नहीं था वर्ना वो एक सुबह उठते और अपनी पूँछ को नदारद पाते तो उनको बड़ी हैरानी होती।

पता नहीं टैडपोल किस ख़याल में सोए थे पर काजू तो इस ख़याल में सोया था कि कल से जब वो चाय की दुकान पर नौकरी करने लगेगा तो उसको महीने का पंद्रह सौ रुपया मिलने लगेगा और वो माँ के लिए जूते ख़रीद सकेगा।

माँ रोज़ाना काम से लौटती थी तो उसके पैर सूजे हुए होते थे। काजू ज़िद करता था कि वो मुलायम वाले जूते ख़रीद ले लेकिन वो फ़िज़ूलख़र्ची नहीं करना चाहती थी।

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